Tuesday, May 26, 2020

रुकना मेरे वश में ना है





लहरें हिलोर कर उठ रही हैं
खून की मेरी रगों में 
हो सके तो शक्ति दो प्रभु 
रुकना मेरे वश में ना है 

है छलावा जग का तो क्या
निष्कपट छाया भी मेरी 
छीन लो प्रभु शीश मेरा 
झुकना मेरे वश में ना है 

सहस्त्र हाथियों का बल 
मैं तुमसे माँगता नहीं 
आशीष दो प्रभु बस विजय का 
शिष्य हारने को विवश ना है 
हो सके तो शक्ति दो प्रभु 
रुकना मेरे वश में ना है 

नीति कर्मठ जानते हैं 
शस्त्र का प्रतिघात ना 
भाग जाऊँ कायरों संग 
वह बाण मेरे तरकश में ना है 
हो सके तो शक्ति दो प्रभु 
रुकना मेरे वश में ना है 

चल पड़ूॅं अकेला मैं मरण तक
पा वीरगति प्रभु के चरण तक 
जोड़ लूँ उनको स्वयं से 
टूटना मेरे वश में ना है 
हो सके तो शक्ति दो प्रभु 
रुकना मेरे वश में ना है 
                          

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